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समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह बहुमूल्य रत्नों का रहस्य
लेकिन बैठक में कोई उपाय न निकल सका। तब देवगणों ने आपस में विचार-विमर्श किया कि क्यों न बैकुंठ धाम में निवास करने वाले विष्णु जी के पास चला जाये। वही देवताओं को इस भारी संकट से बाहर निकाल सकते हैं। इस निर्णय के अनुसार सभी देवता गण ब्रह्मा जी के साथ “भगवान विष्णु” के पास पहुंचे। इससे पहले कि भगवान विष्णु के सामने देवता गण अपनी समस्या को रखते वह पहले ही मुस्कुराने लगे।
आज हम आपको इस समुद्र मंथन की दिलचस्प कथा से आपका विस्तार से परिचय कराते हैं, जिसमें भगवान विष्णु ने वह चमत्कारी लीला दिखायी जिसे, जिस किसी ने भी देखा दंग गया। यह वह समय था जब ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण देवताओं की शक्ति क्षीण होती जा रही थी। दैत्यराज बालि ने देवलोक पर अपना आधिपत्य जमा लिया था। असुरों ने तीनो लोक में त्राहि-त्राहि मचा रखी थी।
अक्षरधाम मंदिर
इस मंदिर में लगे विशाल स्तंभ, गुंबद और मूर्तियाँ सभी भारत के गौरवशाली वास्तुकला की गाथा कह रही हैं। इस मंदिर में लगभग 20000 मूर्तियां हैं जिनको देखने के बाद ऐसा लगता है कि वह किसी भी समय बोल उठेंगी।